दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ शराब नीति मामले में एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। 21 मार्च की शाम को ED की टीम ने केजरीवाल के घर पहुंचकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद उन्हें ED के दफ्तर ले जाया गया। इसके बाद उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल से मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया और रात भर ED की लॉकअप में रहना पड़ा।
केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में आम आदमी पार्टी (AAP) ने विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन का आह्वान किया है। दिल्ली की मंत्री गोपाल राय ने बताया कि आज सुबह 10 बजे से AAP बीजेपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी।
यह गिरफ्तारी केजरीवाल के खिलाफ प्रमुख आरोपों में से एक है, जो शराब नीति मामले के बारे में है। ED ने केजरीवाल को दिल्ली जल बोर्ड टेंडर घोटाला मामले में भी समन जारी किया है। इसके अलावा, AAP का आरोप है कि भाजपा ED के जरिए केजरीवाल को टारगेट कर रही है।
केजरीवाल की लीगल टीम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर फौरन सुनवाई की मांग की है। इसके अलावा, उनकी रिमांड पर भी ED को यहां से प्राथमिक जांच करने का अधिकार है।
केजरीवाल के गिरफ्तार होने पर दिल्ली की राजनीति में उठे हलचल के बावजूद, AAP का दावा है कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहेंगे और सरकार की निर्णय लेने का दायित्व निभाएंगे।
दिल्ली शराब घोटाले क्या हैं
दिल्ली की नई शराब नीति के बारे में जानने से पहले, हमें यह जानना आवश्यक है कि यह नीति क्या थी। 17 नवंबर 2021 को, दिल्ली सरकार ने राज्य में एक नई शराब नीति लागू की। इस नीति के अनुसार, राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में 27 से अधिक दुकानें खोलने की इजाजत दी गई। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलने की अनुमति थी। नई शराब नीति के अनुसार, दिल्ली की सभी शराब की दुकानें निजीकृत कर दी गईं। इससे पहले, दिल्ली में शराब की 60% दुकानें सरकारी थीं और 40% निजी थीं, लेकिन नई नीति के बाद सभी दुकानें 100% निजी हो गईं। सरकार ने यह तर्क दिया कि इससे लगभग 3,500 करोड़ रुपये का लाभ होगा।
इसके साथ ही, लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी गई। पहले, एल-1 लाइसेंस के लिए ठेकेदारों को 25 लाख रुपये देने की आवश्यकता थी, लेकिन नई शराब नीति के लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह, अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई।
इस नई शराब नीति से जनता और सरकार दोनों को नुकसान होने का आरोप है। वहीं, बड़े शराब व्यापारियों को फायदा होने की बात कही जा रही है। इस पर भारतीय जनता पार्टी का आरोप है। तीन तरीकों से घोटाले की बात सामने आ रही है:
- लाइसेंस फीस में भारी इजाफा करके बड़े व्यापारियों को लाभ पहुंचाने का आरोप।
- शराब की बिक्री में सरकारी राजस्व में भारी कमी होने का आरोप।
- नई शराब नीति में उत्पाद शुल्क और वैट की घोटाले के आरोप।
इस घोटाले की जांच के लिए सीबीआई और ईडी द्वारा कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, बड़े नेताओं और अफसरों के बारे में भी आरोप लगाए गए हैं। इस घोटाले में शामिल आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और जांच जारी है।