Saturday, October 12, 2024
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Chaiti Chhath : चैती छठ: महापर्व की शुरुआत, जानें पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और अर्घ्य देने का तरीका

चैती छठ चार दिवसीय पर्व है जो चैत्र मास (Chaitra Civil Month) में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और षष्ठी माता की उपासना का पर्व है।

पहला दिन: नहाय-खाय

पहला दिन नहाय-खाय
पहला दिन: नहाय-खाय
  • इस दिन व्रती स्नान कर शुद्ध होते हैं और अरवा चावल, लौकी की सब्जी, चना दाल आदि का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

दूसरा दिन: खरना

  • इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास करते हैं और शाम को खीर, रोटी, और फल का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

  • इस दिन व्रती शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
  • अर्घ्य देने के लिए दूध, जल, फल, फूल आदि का प्रयोग करते हैं।

चौथा दिन: उषा अर्घ्य और पारण

  • इस दिन व्रती सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
  • इसके बाद व्रत का पारण करते हैं और विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाते हैं।

चैती छठ का महत्व

  • Chaiti छठ सुखसमृद्धि, संतान प्राप्ति, और रोग मुक्ति के लिए मनाया जाता है।
  • यह पर्व पर्यावरण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर है।

शुभ मुहूर्त

  • नहायखाय: 12 अप्रैल 2024, शुक्रवार, शाम 06:31 बजे से 08:16 बजे तक
  • खरना: 13 अप्रैल 2024, शनिवार, शाम 06:16 बजे से 08:01 बजे तक
  • संध्या अर्घ्य: 14 अप्रैल 2024, रविवार, शाम 06:44 बजे
  • उषा अर्घ्य: 15 अप्रैल 2024, सोमवार, सुबह 06:16 बजे

अर्घ्य देने का तरीका

अर्घ्य देने का तरीका
अर्घ्य देने का तरीका
  • अर्घ्य देने के लिए सबसे पहले सूर्य देव और षष्ठी माता को नमन करें।
  • फिर, तांबे या मिट्टी के लोटे में दूध, जल, फल, फूल आदि भरें।
  • सूर्य देव को सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें।
  • अंत में, षष्ठी माता की भी पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं।

चैती छठ एक लोकप्रिय त्योहार है जो पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

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