चुनाव आयोग ने रविवार को इलेक्टोरल बॉन्ड के दूसरे डेटा की जानकारी जारी की है। इस नए डेटा से कई राजनीतिक अदान-प्रदान के तथ्यों का प्रकाश आया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किस दल को कितना चंदा मिला है, लेकिन इस बीच कुछ ऐसे राजनीतिक दल भी हैं जिन्हें इलेक्टोरल बॉन्ड से न केवल बड़े राशि का चंदा, बल्कि एक रुपये भी नहीं मिला है।
बहुजन समाज पार्टी (BSP) को कोई डोनर नहीं मिला है। मायावती जी को भी किसी डोनर का समर्थन नहीं मिला है। चुनाव आयोग की 426 पन्नों की रिपोर्ट में बताया गया है कि किस पार्टी को कितना चंदा मिला है। इस रिपोर्ट में बहुजन समाज पार्टी (BSP) का कोई उल्लेख नहीं है।
कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने इलेक्टोरल बॉन्ड से एक भी रुपये का चंदा स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ अपना विरोध जताया है। उसने किसी भी बॉन्ड के माध्यम से कोई दान स्वीकार नहीं किया है। CPI(M) ने इस उद्देश्य के लिए कोई बैंक खाता भी निर्दिष्ट नहीं किया है।
इस सैद्धांतिक रूप से, CPI (M) ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई भी दान नहीं मिला है। उसने उसके लिए किसी भी बैंक खाता को निर्दिष्ट नहीं किया है।
इसके अलावा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने किसी भी बॉन्ड को नहीं खरीदा या प्राप्त किया है।
यह डेटा चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जारी किया है। उसने पिछले सप्ताह 12 अप्रैल, 2019 के बाद के चुनावी बॉण्ड के डेटा को भी प्रकाशित किया है।
कुछ पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड्स से चंदा मिला है, लेकिन कुछ को चंदा नहीं मिला। नीचे उनकी सूची है
- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): 2,555 करोड़ रुपये
- तृणमूल कांग्रेस: 1,397 करोड़ रुपये
- कांग्रेस: 1,334.35 करोड़ रुपये
- BRS: 1,322 करोड़ रुपये
- बीजू जनता दल: 442.8 करोड़ रुपये
- YSR कांग्रेस: 442.8 करोड़ रुपये
- तेलुगुदेशम पार्टी (TDP): 181.35 करोड़ रुपये
- DMK: 656.5 करोड़ रुपये
- समाजवादी पार्टी: 14.05 करोड़ रुपये
- अकाली दल: 7.26 करोड़ रुपये
- AIADMK: 6.05 करोड़ रुपये
- नेशनल कांफ्रेंस: 50 लाख रुपये
- JD(S): 89.75 करोड़ रुपये
- शिवसेना: 60.4 करोड़ रुपये
- राजद: 56 करोड़ रुपये
निम्नलिखित पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के माध्यम से कोई चंदा नहीं मिला
- CPI(M): 0 करोड़ रुपये
- बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP): 0 करोड़ रुपये
इलेक्टोरल बॉन्ड्स के शीर्ष 10 डोनर
- फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज – 1,368 करोड़ रुपये
- मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड – 966 करोड़ रुपये
- क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड – 410 करोड़ रुपये
- हल्दिया एनर्जी लिमिटेड – 377 करोड़ रुपये
- वेदांता लिमिटेड – 376 करोड़ रुपये
- एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड – 225 करोड़ रुपये
- वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड – 220 करोड़ रुपये
- भारती एयरटेल ग्रुप – 198 करोड़ रुपये
- केवेंटर फूडपार्क इंफ्रा लिमिटेड – 195 करोड़ रुपये
- एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड – 192 करोड़ रुपये
इलेक्टोरल बॉन्ड और अल्फान्यूमेरिक नंबर: संपूर्ण विवरण
इलेक्टोरल बॉन्ड क्या है?
- इलेक्टोरल बॉन्ड एक आधिकारिक तरीका है जिसके माध्यम से व्यक्ति या कंपनी राजनीतिक दलों को निजी रूप से धन दे सकते हैं।
- यह बॉन्ड संयुक्त राष्ट्र सभा द्वारा बनाए गए हैं और इन्हें एक संघीय बैंक, जैसे कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), के माध्यम से जारी किया जाता है।
अल्फान्यूमेरिक नंबर क्या है?
- यह एक यूनिक कोड होता है जो हर इलेक्टोरल बॉन्ड पर प्रिंट किया जाता है।
- यह नंबर नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता, बल्कि इसे केवल अल्ट्रावायलेट किरणों (UV Rays) के माध्यम से देखा जा सकता है।
अल्फान्यूमेरिक नंबर का महत्व:
- यह नंबर स्पष्ट करता है कि किस कंपनी या व्यक्ति ने किस पार्टी को कितना धन दिया है।
- इससे चुनावी डोनेशन के खिलाफ बड़ी संरचित पोलिटिकल दानवदाता और प्राथमिकताएं निर्धारित की जा सकती हैं।
इलेक्टोरल बॉन्ड और डेटा शेयरिंग:
- सुप्रीम कोर्ट की निर्देशों के बावजूद, SBI ने अल्फान्यूमेरिक नंबर का डेटा साझा नहीं किया।
- अब, सुप्रीम कोर्ट ने SBI को डेटा साझा करने के लिए अन्य मुद्दों के साथ 18 मार्च तक का समय दिया है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव:
- अल्फान्यूमेरिक नंबर का खुलासा होने पर, पार्टियों को मिली राशि और डोनेशन के स्रोतों का पता चलेगा।
- इससे चुनावी प्रक्रिया और डोनेशन के खिलाफ नई सामाजिक और राजनीतिक चर्चाएं आगे बढ़ सकती हैं।
निष्कर्ष:
- अल्फान्यूमेरिक नंबर के खुलासे से चुनावी फंडिंग की पारदर्शिता में सुधार हो सकता है और राजनीतिक प्रक्रिया में नए परिवर्तन आ सकते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में, SBI द्वारा डेटा साझा किया जाना उचित होगा, जो राजनीतिक दान की पारदर्शिता और लोकतंत्र की सशक्तिकरण में मदद करेगा।