दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. केसीआर की बेटी और विधायक कविता (K Kavitha) को गिरफ्तार कर लिया है। कविता को हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया और अब उसे दिल्ली ले जाया जा रहा है। ED ने कविता के घर पर छापेमारी की और उसे गिरफ्तार किया गया। इसके पहले भी ED ने कविता के घर पर छापेमारी की थी।कविता को मान्यता प्राप्त दिल्ली का टिकट पहले ही बुक कर लिया गया था।
ED के मुताबिक, कविता को भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप है। इस मामले में साउथ ग्रुप के नाम पर भी बड़ी बातें सामने आई हैं, जिनका आरोप है कि वह भ्रष्टाचार करके व्यापार कर रहे थे।
कविता के इस मामले में शामिल होने का आरोप है कि उसने विपक्षी नेताओं को रिश्वत के रूप में पैसे दिए और अनुमति से अधिक लाइसेंस दिए गए। इसके साथ ही उसके द्वारा किए गए कई फोन कॉल्स की भी जांच की जा रही है।
कविता ने 2021 और 2022 में कम से कम दस फोन का इस्तेमाल किया है, जिससे संदेह है कि यह डिजिटल सबूतों को नष्ट करने और जांच को पटरी से उतारने के लिए किया गया है।
इस मामले में संज्ञान में आई बातें और उनके आरोपों की जांच जारी है, जिससे सच्चाई का पर्दाफाश किया जा सकेगा। यह साबित करेगा कि क्या धाराप्रवाही नियमों का उल्लंघन किया गया है और कौन-कौन से लोग इस मामले में शामिल हैं।
दिल्ली शराब नीति मामला क्या है?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने नवंबर 2021 में नई आबकारी नीति का शुभारंभ किया। इस नीति का मुख्य उद्देश्य शराब के बाजार को सुधारना और राजस्व बढ़ाना था। लेकिन, कुछ महीने बाद ही दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने AAP सरकार की नई आबकारी नीति पर रिपोर्ट तलब की। इसके पश्चात्, मुख्य सचिव ने उपराज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें नीति के अनियमितताओं का जिक्र था।
रिपोर्ट में बताया गया कि नई आबकारी नीति में कई नियमों के उल्लंघन थे, जैसे कि टेंडर प्रक्रिया में खामियां और लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाना। इसके अलावा, रिपोर्ट ने यह भी उजागर किया कि कोरोना महामारी के दौरान लाइसेंस की फीस माफ की गई थी, जिससे ठेकेदारों को बड़ा नुकसान हुआ।
इसके परिणामस्वरूप, जुलाई 2022 में उपराज्यपाल ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच के निर्देश जारी किए। कुछ दिनों बाद ही, केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति को रोक दिया और पुरानी नीति को पुनः लागू कर दिया।
नई आबकारी नीति के लागू होने के साथ ही, शराब की दुकानों की संख्या को काफी कम कर दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य था ज्यादा राजस्व को उत्पन्न करना। नई नीति के अनुसार, केवल 850 शराब की दुकानों को रिटेल लाइसेंस दिया गया, जिसमें 266 शराब के ठेकेदार प्राइवेट लाइसेंस प्राप्त कर सकते थे। इन दुकानों को 32 जोन में वितरित किया गया था, जिनमें पांच सुपर-प्रीमियम शॉप्स भी शामिल थीं।
नई नीति ने बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाया, जिसके कारण कई छोटे वेंडर्स को नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त, नई नीति में दिए गए कुछ नियमों ने लोगों को परेशानी भी पहुंचाई, जैसे कि एक वार्ड में तीन ठेके खोलने का नियम।
कुल मिलाकर, नई आबकारी नीति ने दिल्ली की आबकारी व्यवस्था में कई परिवर्तन किए, जिसका प्रभाव समाज में महसूस हुआ। इसके साथ ही, सरकार को नीति के अनियमितताओं का सामना करना पड़ा, जो राजस्व में कमी के कारण हुई।