“चुनावी महाकुंभ” की तारीखों के ऐलान के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) की शुरुआत हो जाएगी। इस संहिता के अनुसार, सरकारी अधिकारियों को वित्तीय अनुदान की घोषणा करने से बचना होगा, और उन्हें आधिकारिक मशीनरी का प्रयोग प्रचार के लिए नहीं करना चाहिए। भारत में 18वें लोकसभा के चुनाव के तैयारियों का कार्यक्रम भी आज ही घोषित किया जाएगा।
चुनाव आचार संहिता का लागू होना चुनाव प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे सरकार, राजनीतिक दलों, और उम्मीदवारों को निर्देशित किया जाता है ताकि चुनाव प्रक्रिया समान और निष्पक्ष रूप से संपन्न हो। आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण निर्देश हैं, जैसे कि सरकार द्वारा लोकलुभावन घोषणाएं न करना, सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग न करना, और राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा जाति, धर्म, और क्षेत्र से संबंधित मुद्दों को उठाने से बचना। इसके अलावा, धन-बल और बाहु-बल का प्रयोग भी नहीं किया जाना चाहिए।
आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और संवेदनशील बनाना है, ताकि लोकतंत्र की आधारशिला को मजबूत बनाए रखा जा सके। यह संहिता चुनावी प्रक्रिया के दौरान उच्चतम दिग्दर्शक रूप में काम करती है और निर्वाचन आयोग द्वारा अनुशासित और नियंत्रित की जाती है। इसके पालन से निर्वाचन प्रक्रिया में समानता, न्याय, और विश्वासनीयता का संरक्षण होता है।
जब से लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी हुई है, तब से ही चुनाव आयोग ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट, यानी आदर्श आचार संहिता को पूरे देश में लागू कर दिया है। इस संहिता के तहत, देशभर में अभियान चलाकर सियासी दलों के होर्डिंग, बैनर, पोस्टर उतारे जाएंगे, सरकारी योजनाओं के होर्डिंग भी उतार दिए जाएंगे। अगर किसी को इस संहिता का उल्लंघन लगता है, तो वह सीधे चुनाव आयोग को इसकी रिपोर्ट कर सकता है, जिसके बाद आयोग तेजी से कार्रवाई करेगा। ध्यान दें कि इस संहिता के लागू होने के बाद, न केवल राजनीतिक दलों और नेताओं पर, बल्कि आम लोगों पर भी यह लागू होती है। इसका पालन न करने पर किसी को जेल की सजा हो सकती है। लेकिन, यह ध्यान देने वाली बात है कि आचार संहिता के लागू होने के बाद भी कुछ जरूरी काम जारी रहते हैं, जैसे की पेंशन बनवाना, आधार कार्ड बनवाना, और सरकारी योजनाओं के लाभ लेना।