भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 12 मार्च 2024 को चुनाव आयोग (ईसीआई) को इस विषय संबंधी डेटा प्रस्तुत किया था। चुनाव आयोग ने इस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध करवाया है।
भारतीय चुनावी प्रक्रिया में एक नया मोड़ आया है, जिसे “इलेक्टोरल बॉन्ड” कहा जाता है। यह वित्तीय योजना राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए एक माध्यम प्रदान करती है, लेकिन इसके साथ ही साथ यह एक बड़ी चुनौती भी लेकर आई है।
चुनाव आयोग ने हाल ही में इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक की है। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार जारी की गई है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 12 मार्च 2024 को चुनाव आयोग (ईसीआई) को चुनावी बांड से संबंधित डेटा प्रदान किया था, जिसे चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।
इलेक्टोरल बॉन्ड का उद्देश्य राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाना और साफ-सुथरा धन देने की प्रक्रिया को सुधारना है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में असंवैधानिक घोषित किया है।
चुनावी बॉन्ड के डेटा के अनुसार, फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज पीआर ने सबसे ज्यादा चंदा दिया है। इस कंपनी ने 1,368 करोड़ के बॉन्ड खरीदे हैं। इसके बाद, भाजपा ने 6,060 करोड़ रुपये के बॉन्ड लिए हैं।
इस योजना के माध्यम से चंदे में काले धन के लेन-देन को खत्म करने का उद्देश्य रखा गया है। यह एक प्रगतिशील कदम है जो भारतीय राजनीति में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा देने की दिशा में है।
चुनावी बॉन्ड का डेटा 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक का है। इसके माध्यम से चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों और चंदे देने वालों के बीच की जानकारी प्रकट की है। यह नया प्रयास भारतीय राजनीति को एक नई दिशा में ले जा सकता है, जहां सबका हक और पारदर्शिता हो।